सोमवार, अगस्त 18, 2014

दिल की कुछ ख्वाइशें

दिल की कुछ ख्वाइशें


दिल की कुछ ख्वाइशें उड़ने को तैयार हैं.
कदम खुद ही तेरी ओर चलने को तैयार है.

जिए तो खूब हैं हम दिल खोलकर
आज तुझपे हम मरने को तैयार हैं.

अभी तक कुछ किया या नहीं हमने.
पर आज कुछ करने को तैयार  हैं.

इश्काना माहौल सख्त हो गया है आजकल.
पर हम हैं कि इसमें पिघलने को तैयार हैं.

शाखों पे पत्ते है बेशुमार मगर.
हम बस एक ही पर मिटने को तैयार हैं.


-अश्वनी कुमार

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