सोमवार, मार्च 31, 2014

लगा रिसने...

लगा रिसने...

लगा रिसने भरा सैलाब था जो भावों का
संजोऊ, कहाँ न है खबर न है पता...
संजोऊ मैं कहाँ इसे न खबर न है पता...
लगा रिसने.....................भावों का.................!!!

मंजिलें थी कहाँ, हम तो यूँहीं चल थे पड़े
कहते हैं, दोष है इसमें बेगुनाह राहों का...
लगा रिसने भरा सैलाब था जो भावों का
संजोऊ मैं कहाँ इसे न खबर न है पता...
लगा रिसने.....................भावों का.................!!!

जिसे कहते थे मौत, जिंदगी बनी मेरी
जिसे कहते थे मौत, जिंदगी बनी मेरी
आज बस है, सहारा है, उसी की बाहों का...
लगा रिसने भरा सैलाब था जो भावों का
संजोऊ मैं कहाँ इसे न खबर न है पता...
लगा रिसने.....................भावों का.................!!!

तबियत कैसी है, ये तो नहीं पूछो यारों
हाल मैं क्या कहूँ, टूटे मेरे अरमानों का...
लगा रिसने भरा सैलाब था जो भावों का
संजोऊ मैं कहाँ इसे न खबर न है पता...
लगा रिसने.....................भावों का.................!!!

कभी यहाँ, कभी वहां दिललगी करते थे
पर जो ये दौर है, वो है बड़े दीवानों का...
लगा रिसने भरा सैलाब था जो भावों का
संजोऊ मैं कहाँ इसे न खबर न है पता...
लगा रिसने.....................भावों का.................!!!

कभी रकीब थे जो, आज हैं करीबी हुए
कभी रकीब थे जो, आज हैं करीबी हुए...
अब तो कोई मोल ही न है, यहाँ बहानों का...
लगा रिसने भरा सैलाब था जो भावों का
संजोऊ मैं कहाँ इसे न खबर न है पता...

लगा रिसने.....................भावों का.................!!!
-अश्वनी कुमार

गुरुवार, मार्च 06, 2014

फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

हर कदम पर मुझे दबाने का प्रयास किया जा रहा है
फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

सुरक्षित मेहसूस नहीं करती हूँ मैं इस सभ्य समाज में
फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

मुझे इस पुरुष प्रधान समाज में उपभोग कि वस्तु समझा जा रहा है
फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

असमानता बढती जा रही है मेरे लिए
फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

पुरातन काल से भेदभाव की शिकार हूँ मैं
फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

हर एक गंदी नज़र से हर कदम पर बचना पड़ता है मुझे
फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

ताने, घ्रणा, कुंठा सहकर मैं परेशान हूँ
फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

मुझे बेशक कोख में ही मार दिया जाता है
फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!

आज चाहे जो भी हूँ मैं पर मुझे गर्व है अपने आप पर
मुझे गर्व है एक माँ होने पर
मुझे गर्व है मुझसे भेदभाव करने वाले इस समाज का निर्माण करने पर
मुझे गर्व है एक नारी होने पर
चाहे कुछ भी हो जाए ये गर्व बना रहेगा ऐसे ही

समाज, चाहे हो भी सोचे जो भी कहे
मेरा मान मेरी नज़रों से गिरेगा नहीं
मेरा स्वाभिमान कभी डिगेगा नहीं
मेरा गर्व कभी कम नहीं होगा.

चाहे कुछ भी है, फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है!
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